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गणेश जी, जिन्हें विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता के रूप में पूजा जाता है, हिंदू धर्म में सर्वोच्च स्थान रखते हैं। वे हर शुभ कार्य की शुरुआत में पूजे जाते हैं ताकि सभी बाधाओं का नाश हो और जीवन में समृद्धि और सुख-शांति का वास हो। गणेश जी के आठ महामंत्र और अष्टविनायक यात्रा का महत्व इसी उद्देश्य से है – बाधाओं को दूर करना और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना।
महाराष्ट्र में गणेश उत्सव इस वर्ष 2024 में *2 सितंबर से 12 सितंबर* तक मनाया जाएगा। यह उत्सव गणेश चतुर्थी के दिन से शुरू होता है और अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन के साथ संपन्न होता है।
गणेश उत्सव कुल 10 दिनों तक चलता है, जिसमें भक्त गणपति बप्पा की स्थापना से लेकर उनकी विदाई तक भव्य पूजा, आरती, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
1. ॐ गं गणपतये नमः
यह गणेश जी का सबसे प्रसिद्ध बीज मंत्र है। इसका जप करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं, और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
2. वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
यह मंत्र विद्यार्थियों और कार्यरत लोगों के लिए अत्यधिक लाभकारी है, क्योंकि यह ध्यान और एकाग्रता को बढ़ाता है।
3. ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्॥
गणेश गायत्री मंत्र का जप बुद्धि, ज्ञान और आध्यात्मिक शक्ति के विकास के लिए किया जाता है।
4. ॐ श्री गणेशाय नमः
इस मंत्र का जप सभी प्रकार की इच्छाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
5. ॐ एकदन्ताय नमः
यह मंत्र गणेश जी के एकदन्त स्वरूप की पूजा के लिए है, जिससे मानसिक शांति और ध्यान में एकाग्रता प्राप्त होती है।
6. ॐ लम्बोदराय नमः
यह मंत्र संतुलन, धैर्य, और मानसिक स्थिरता प्रदान करता है।
7. ॐ विघ्नेश्वराय नमः
विघ्नों को दूर करने वाला यह मंत्र सभी बाधाओं को समाप्त करता है और कार्यों में सफलता दिलाता है।
8. ॐ महागणपतये नमः
महागणपति के इस मंत्र से आध्यात्मिक उत्थान और जीवन में बड़े बदलाव आते हैं।
इन आठ मंत्रों का जप न केवल गणेश जी की कृपा प्राप्त करने में सहायक है, बल्कि जीवन की समस्याओं और संघर्षों को भी दूर करता है। यदि आप अपने जीवन में किसी प्रकार की बाधा का सामना कर रहे हैं, तो गणेश जी के इन महामंत्रों का नियमित जप अवश्य करें।
महाराष्ट्र में स्थित अष्टविनायक* यात्रा आठ प्रमुख गणेश मंदिरों का समूह है, जहाँ गणेश जी के आठ अद्वितीय स्वरूपों की पूजा होती है। इस यात्रा का विशेष महत्व है और हर भक्त के लिए यह एक अनोखा आध्यात्मिक अनुभव होता है।
1. मोरगांव - श्री मोरेश्वर:* मोरगांव स्थित यह मंदिर अष्टविनायक यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है।
2. सिद्धटेक - श्री सिद्धिविनायक:* इस मंदिर में गणेश जी के सिद्धिविनायक रूप की पूजा होती है, जो विशेष रूप से बाधाओं को दूर करने के लिए प्रसिद्ध है।
3. पाली - श्री बल्लालेश्वर:* यह मंदिर गणपति के भक्त बल्लाल के नाम पर है और अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।
4. महाड - श्री वरदविनायक:* महाड स्थित वरदविनायक मंदिर अपनी सुंदरता और शांति के लिए जाना जाता है।
5. थेउर - श्री चिंतामणि:* गणपति के चिंतामणि रूप की पूजा करने के लिए भक्त यहाँ आते हैं।
6. लेंयाद्री - श्री गिरिजात्मक:* यह मंदिर एक पहाड़ी की गुफा में स्थित है, जो अपने अद्भुत स्थान के लिए मशहूर है।
7.ओझर - श्री विघ्नहर्ता:* विघ्नहर्ता गणपति का यह मंदिर विघ्नों को दूर करने के लिए प्रसिद्ध है।
8. रांजणगांव - श्री महागणपति:* रांजणगांव का महागणपति मंदिर अष्टविनायक यात्रा का समापन बिंदु है।
अष्टविनायक यात्रा के दौरान इन आठ मंदिरों का दर्शन करने से भक्तों को विशेष रूप से गणपति जी की कृपा प्राप्त होती है। यह यात्रा गणेश जी के विभिन्न रूपों की महिमा का अनुभव कराती है और जीवन की सभी बाधाओं को दूर करती है।
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गणेश जी के आशीर्वाद से सभी बाधाओं को दूर करें और जीवन में सफलता प्राप्त करें।
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