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होली हिंदुओं का सबसे बड़े त्योहारों में से एक है जो हर साल फाल्गुन महीने में मनाया जाता है। जबकि यह अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार फरवरी या मार्च महीने में मनाया जाता है। 2025 में होली 14 मार्च को है और देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा। आज हम जानेंगे होली के बारे में कि यह क्यों मनाई जाती है और क्या कहानी रही होगी। चलिये देखते है कि क्या है होली की कहानी।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि राक्षस राजा हिरण्यकश्यप और उनकी बहन होलिका को ब्रह्मा ने अमर होने का आशीर्वाद दिया गया था और ब्रह्मांड में कोई भी उन्हें मार नहीं सकता था इस कारण उन्हें काफी घमंड था। लेकिन उनका पुत्र प्रह्लाद जो भगवान विष्णु का भक्त था। इस कारण हिरण्यकश्यप को यह अच्छा नहीं लगता था क्योंकि यह खुद को ही भगवान दिखाना चाहता था लेकिन प्रह्लाद अपने पिता को भगवान नहीं मानता था। इस कारण हिरण्यश्यप ने अपने ही पुत्र को मारने की कोशिश की, लेकिन इसमें वो असफल रहा।
इसके बाद यह माना जाता है कि जब इसमें सफलता नहीं मिली तो उन्होंने अपनी बहन, होलिका के साथ एक एक योजना बनाई और खत्म करने का प्रयास किया। इसके तत्पश्यात उन्होंने अपने ही पुत्र प्रह्लाद को बहन होलिका की गोद में बैठा दिया और फिर आग लगाने को कहा क्योंकि होलिका को भी अमर होने का वरदान था तो उन्हें लगा प्रह्लाद जल जाएगा और होलिका बच जाएगी। लेकिन चमत्कारिक रूप से, प्रह्लाद को विष्णु ने बचा लिया, जबकि होलिका जलकर राख हो गयी थी। इसके बाद से ही यह होली का पावन पर्व देशभर में मनाया जाता है। होली को बुराई के ऊपर 'अच्छाई' का त्यौहार भी कहा जाता है।
वहीं कई पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि होली भगवान कृष्ण और राधा के बीच मौजूद प्रेम और रोमांस को भी याद दिलाती है। कहा जाता है कि होली के दौरान कृष्ण और राधा के बीच मथुरा और वृंदावन के शहरों में हुई विभिन्न 'रास-लीलाओं' के बारे में बताते हैं। इस कारण वृंदावन की होली बहुत खास मानी जाती है।
भारतवर्ष में दिवाली के अलावा होली सबसे बड़े त्योहारों में से एक है और इस दिन हर जगह एक दूसरे को रंग लगाकर खुशियां मनाते है। होली को लोग रंग का त्यौहार, रंगोत्सव भी कहते है। यह त्यौहार हर साल हिन्दू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। लोग पहले दिन होलिका को जलाते है और दूसरे दिन रंग वाली होली खेलते है।
होली 2025 तिथि - 14 मार्च 2025
होलिका दहन मुहूर्त- 13 मार्च, शाम 6 बजकर 57 मिनट से रात 8 बजकर 14 मिनट तक
भद्रा पूंछ 13 मार्च , शाम 6 बजकर 57 मिनट से रात 8 बजकर 14 मिनट तक है
भद्रा मुख- 13 मार्च, रात 8 बजकर 14 मिनट से रात 10 बजकर 22 मिनट तक है.
रंगवाली होली- 14 मार्च 2025
पूर्णिमा तिथि आरंभ- 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 14 मार्च को दोपहर 12:23 बजे
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