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भगवान की भक्ति का मार्ग आसान तो नहीं है लेकिन जब आप उसकी भक्ति में रास्ते पर जाने की ठान लेते है तो सबकुछ आसान होता चला जाता है। जी हां, जब आप उसके नाम की रठ लगानी शुरू कर देते है तो चाहें मार्ग कितना भी कठिन क्यों ना हो आप अपनी मंजिल तक पहुंच ही जाते है। ऐसा ही एक धाम के बारें में आज हम आपको बताएगें जिसके धाम पर हर किसी के जाने की हिम्मत नहीं होती। बड़े ही हिम्मत वाले लोग यहां तक पहुंच पाते है। जिस धाम के बारें में हम बात कर रहें है वो हैं अमरनाथ धाम। जहां की यात्रा करना कोई बच्चों का खेल नहीं है। यहां पर पहुंचने के लिए हिम्मत के साथ स्वस्थ्य का भी ठीक होना जरूरी है। चलिए तो हम आपको अमरनाथ यात्रा के बारें में बताते है।
बाबा अमरनाथ भगवान शिव को ही कहा जाता है। भगवान भोलेनाथ जितने भोले है इन्हें पाना और इनकी भक्ति के मार्ग तक जाना उतना ही कठिन है। अमरनाथ धाम भी उसी कठिन राह का नाम है। जो श्रीनगर से 145 किलोमीटर दूर है। आपको बता दें कि अमरनाथ की गुफा समुद्र तल से 3,978 मीटर की ऊचांई पर स्थित है और 150 फीट ऊंची, 90 मीटर लंबी है।
बाबा की इस पवित्र गुफा का महत्व बड़ा ही विचित्र है, कहा जाता हैं कि माता पार्वती को भगवान शिव ने अमर कथा सुनाई थी। लेकिन कथा के बीच में ही माता को नींद आ गई और भगवान् शिव कथा का वर्ण करते रहें। इस दौरान एक कबूतरों का जोड़ा इस कथा को सुन रहा था। जो आज भी अमरनाथ की गुफा में देखा जाता है।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस गुफा का खोज एक मुस्लिम ने 18वीं शताब्दी में की। जो एक गडरिया था और उसें बूटा मालिक कहा जाता था। वहीं इतिहासकारों का मानना है कि 1869 में इस पवित्र गुफा की पूर्ण रूप से खोज करकें लगभग 3 साल बाद 1872 में पहली औपचारिक यात्रा शुरू की गई।
40 मीटर ऊंची अमरनाथ की गुफा की यात्रा बड़ी ही कठिन है क्योंकि हर तरफ केवल बर्फीलें पहाड़ होते है। गुफा तक जाने के दो रास्तें है एक पहलगाम से होकर जाता है तो दूसरा सोनमर्ग बलटाल से। यहां से होती असली यात्रा की शुरूआत। यहां जाना किसी ज़ोखिम को उठाने से कम नहीं माना जाता है। बलटाम से गुफा तक का रास्ता 14 किलोमीटर तक तय करना पड़ता है। यात्रा बड़ी ही कठिन होती है वहां तक जाने के लिए सरकार पूरी व्यवस्था देती है लेकिन फिर भी सरकार किसी भी तरह की कोई जिम्मेदारी नहीं लेती। दरअसल यहां की इतनी ऊपर जाना आसान नहीं क्योंकि कभी भी ऑक्सीजन की समस्या हो जाती है। खास तौर केवल वहीं अमरनाथ की यात्रा कर सकते है जो जवान होने के साथ-साथ पूरी तरह से स्वस्थ हो।
अमरनाथ की यात्रा करने के लिए केवल 45 दिन दिए जाते है। वो भी जूलाई और अगस्त में। ज्यादा ठण्ड होने के कारण यात्रा को बाकी महीनों में बन्द कर दिया जाता है। कठिन यात्रा होने के बावजूद भी यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते है। यह केवल भगवान् की शक्ति का चमत्कार और भक्तों का भगवान भोलेनाथ पर विश्वास है कि हजारों भक्त हर साल यात्रा करके सुरक्षित लौटते है।
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