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जानिये कब है देवउठनी एकादशी, होगी मांगलिक कार्यों की शुरुआत देवउठनी एकादशी 2018 का सभी को इन्तजार है क्योकि इस दिन से सभी शुभ कामों की शुरुआत होने वाली है। साथ ही साथ नए दांपत्य जीवन की शुरुआत अब यहाँ से होने वाली है। देवउठनी एकादशी को सीधे और सामान्य शब्दों में बताये तो इस दिन भगवान विष्णु जी जो चार माह से सोये हुए हैं वह उठते हैं और जगत की भलाई के लिए काम करते हुए नजर आते हैं।
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देवउठनी एकादशी के दिन व्रत,पूजा और यज्ञ जैसे काम साफ और पवित्र दिल से करने पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा उस भक्त पर होती है। साथ ही साथ देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह की भी एक परम्परा चलती आ रही है। तुलसी विवाह को सही विधि-विधान से करने पर प्राणी को बड़े से बड़े दुःख से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। आइये आपको हम साल 2022 में देवउठनी एकादशी की तारीख और शुभ मुहूर्त बताते हैं।
वैसे तो माना जाता हैं की किसी भी कार्य को करने के लिए शुभ और अशुभ समय नहीं होता हैं लेकिन शादी-विवाह के मामले में सभी इस बात को लेकर गौर ज़रूर करते हैं कि कौनसा दिन और मुहूर्त शुभ रहेगा। 4 महीने बाद अब एक बार फिर से 19 नवंबर से देवोथान एकादशी से शादी-विवाह के साय शुरू होने वाले हैं।
देवोथान एकादशी को देवोत्थान एकादशी और 'प्रबोधिनी एकादशी' भी कहते है। साथ ही माना जाताहैं की जिस जोड़े का विवाह अन्य तारीख में नहीं बनता वो देवोथान एकादशी के दिन बिना किसी मुहूर्त के सात फेरे ले सकते हैं।
एकादशी तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 04, 2022 को 13:34 बजे
एकादशी तिथि समाप्त - नवम्बर 05, 2022 को 14:30 बजे
पारण (व्रत तोड़ने का) समय - नवम्बर 06, 06:52 से 08:58
पौराणिक मान्यता हैं कि आषाढ़ माह की देवशयनी एकादशी के दिन सभी देव सो जाते हैं जिसके चलते कोई भी शुभ कार्य ख़ासकर शादी मुहूर्त नहीं बनता। दीपावली के बाद शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को भगवान् विष्णु अपनी निद्रा से उठ जाते हैं।
हिन्दू धर्म में इस ख़ास दिन से जुड़ी कहानी प्रचलित हैं उसी प्रकार देवोथान एकादशी जुड़ी से कई कहानियाँ हैं। उनमें से एक इस प्रकार है कि भगवान् विष्णु लगातार कई वर्षो तक बिना आराम किये काम करते रहते थे उनकी पत्नी लक्ष्मी जी भी बिना किसी शिकायत के उनकी सेवा कार्य में खुद को लगाएं रखती। किन्तु एक दिन लक्ष्मी जी ने भगवान् विष्णु से सवाल किया कि प्रभु आप कभी थकते नहीं ? यह बात सुनकर विष्णु भगवान् मुस्कुराए और लक्ष्मी जी से पूछा कि देवी आप अपने मन की बात बताएं, संकोच न करें। यह सुनकर लक्ष्मी जी ने भगवान् को कहा की प्रभु आपकी सेवा करना मेरा कर्तव्य है लेकिन कभी कभी मेरी भी थकान से आंख लग जाती हैं।
आपसे निवेदन हैं की अगर आप कुछ समय के लिए विश्राम करेंगे तो मैं भी आराम कर कर पाऊँगी। लक्ष्मी जी के इस आग्रह पर भगवान् विष्णु ने सोच विचार करके निर्णय लिया की अब से वर्ष में वो वर्षा ऋतू से लेकर कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तक सभी कार्यो से अवकाश लेंगे। तब से हर वर्ष कार्तिक मॉस की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोथान एकादशी कहा गया|
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इस दिन मंदिरों में तुलसी विवाह भी कराया जाता है। कई घरो में लोग देवोथान के दिन फल,मिठाई ,सिंगाड़े और गन्नो को लाके विधि विधान से पूजा करते हैं ताकि उनके जीवन में सभी कार्य बिना किसी अवरोध के चलते रहे। साथ ही, जो लोग नये कार्य की नीव रखना चाहते हैं इस दिन पूजा पाठ जरूर करें और व्रत रखें।
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