>

मां वैष्णो देवी की महिमा का पूरा वृतांत

नारी शक्ति कितनी बलशाली है, इसका उदाहरण पहले से ही मिलता रहा है। हर युग में ऐसी नारी हुई जिसने इतिहास रच दिया और नारी शक्ति पूरे समाज में पूजी जाने लगी। केवल कलयुग की नारियां ही नहीं... बल्कि देवी शक्ति तक को दुष्ट राक्षस ने नहीं छोड़ा था, लेकिन देवी शक्ति इतनी प्रबल और शक्तिशाली थी कि अनेक राक्षसों का नामोनिशान मिटा दिया। माता वैष्णो देवी उसी शक्ति का उदाहरण है। जिन्होंने दुष्टों का संहार करके नारी शक्ति को महत्व दिलाया और उनको पूजा जानें लगा। जी हां, आज हम आपको माता वैष्णो देवी की पवित्र धाम वैष्णो मंदिर की पूरी कथा सुनाएंगे। हम आपको बताएंगे कि माता वैष्णो देवी के मंदिर की स्थापना कैसे हुई।

यह जगत प्राचीन काल से माता वैष्णो देवी की पूजा-अर्चना करता हुआ आया है। प्राचीन काल मे माता के परम भक्त हुए श्रीधर। जिन्होंने गरीबी और लाचारी के चलते भी नाम लेना कभी नहीं छोड़ा और भूखे रहकर भी वैष्णो देवी को भोजन कराया। उनकी शक्ति और भक्ति से प्रसन्न होकर माता वैष्णो देवी ने श्रीधर को दर्शन दिए और कहां अपने गांव में एक माता का भंडारा रखो। माता की आज्ञा पाकर वह गरीब श्रीधर भंडारी की तैयारी में लग गया।

श्रीधर ने घर-घर जाकर भंडारे का निमंत्रण दिया। लोगों को यकीन कर पाना मुश्किल था कि निर्धन श्रीधर अपने घर पर भंडारा कर रहा है। वहीं चलते-चलते रास्ते में भैरव नाथ मिलें श्रीधर ने हाथ जोड़कर प्रणाम किया और कहां कल हमारे यहां माता का भंडारा है। आप अपने सेवकों के साथ जरूर आना। अपने घमंड में भैरवनाथ बोला जिन्हें राजा-महाराजा भोजन नहीं करा सके। उन्हें तुम क्या भोजन कराओंगे। फिर भी तेरे निमंत्रण को हम स्वीकार करते हैं और हम भंडारे में जरूर आएंगे। अगले दिन श्रीधर के घर भंडारा शुरू हो गया। श्रीधर को चिंता थी कि मेरी कुटिया में इतने सारे लोग कैसे आएंग और मैं सबको इतनी गरीबी में कैसे भोजन खिलाऊंगा।

भक्तों की लाज बचाने वाली मां वैष्णो देवी (Maa Vaishno Devi)

इतने में ही माता वैष्णो को कन्या रूप में श्रीधर के घर चली आई। कदम रखते ही जमीन इस कदर बढ़ने लगी कि मानो श्रीधर का घर आगे बढ़ता जा रहा हो। पूरे गांव की भीड़ श्रीधर के घर पर आराम से आ गयी। माता ने भोजन की व्यवस्था करके सभी को अपने हाथों से भोजन परोसा। जिसके बाद माता भैरवनाथ के पास भोजन लेकर पहुंची तो उसने बोला हमें हलवा-पूरी नहीं बल्कि मांस-मदिरा चाहिए। माता ने भैरवनाथ से कहा कि मां के भंडारे से जो मिला वहीं स्वीकार करो।

लेकिन भैरव को जिद थी कि कन्या की परीक्षा लेनी थी। भैरव हठ करने लगा और बोला हमें यह भंडारा स्वीकार नहीं। भैरवनाथ ने अपनी शक्ति से समझ लिया था कि यह कोई साधारण कन्या नहीं है, जैसे ही उसने माता का हाथ पकड़ना चाहा तो माता अंतर्ध्यान हो गई।

माता वैष्णो देवी दया की देवी हैं (Mata Vaishno Devi)

कभी माता वैष्णो ने भैरवनाथ से पीछा छुड़ाकर एक गुफा में तपस्या करनी प्रारंभ कर दी और गुफा के बाहर माता के परम भक्त श्री हनुमान जी पहरा देने लगे। भैरव ने हर तरह से माता को ढूंढने की कोशिश की और वह उस पावन गुफा तक भी पहुंच गया। जिसके बाद हनुमान जी ने गुफा के बाहर भैरवनाथ से कई दिनों तक युद्ध किया, लेकिन भैरवनाथ के बाज ना आने पर माता वैष्णो देवी ने क्रोध में आकर उसका सर धड़ से अलग कर दिया। भैरव नाथ के क्षमा याचना मांगने पर वैष्णो माता ने ना केवल उसे क्षमा किया बल्कि उसे आशीर्वाद भी दिया कि मेरे दर्शन को जो भक्त आएंगे तो उनका दर्शन तब मान्य होगा जब वह तेरे दर्शन करेंगे।

ऐसे हुई माता वैष्णो के मंदिर की स्थापना (Vaishno Devi Temple)

इस प्रकार माता वैष्णो देवी ने जिस स्थान पर तपस्या की थी उस गुफा में माता पिंडी रूप में प्रकट हुई और जम्मू के कटरा धाम के पर्वतों पर मंदिर का निर्माण किया गया।

माता वैष्णो देवी के मंदिर की विशेषता (Vaishno Devi Mandir Importance)

1.माता वैष्णो देवी बड़ी शक्तिशाली और बलशाली है। उन्होंने ना जाने कितनी दुष्टों का उद्धार किया। माता वैष्णो देवी के दर्शन नसीब वालों को मिलते हैं क्योंकि यह मंदिर पर्वतों के ऊपर है। जिससे भक्तों को 14 किलोमीटर की चढ़ाई करनी होती है।

2.जो भक्तजन पहली बार दर्शन के लिए जाते हैं। वह नए वस्त्र को धारण करके ही माता वैष्णो देवी की दर्शन करते हैं। कटरा धाम से यह चढ़ाई शुरू होती है।

3.मातारानी के जयकारे लगाते हुए यात्रा की जाती है और आपको पता भी नहीं चलेगा कि  सुंदर सुंदर पर्वत और हरियाली का आनंद लेते हुए वैष्णो देवी के दर्शन के लिए भक्तों में अलग ही उत्साह आता है।

4.चलते-चलते सभी भक्तों को सिर्फ उस पवित्र गुफा का इंतजार होता है। जिसमें वैष्णो देवी पिंडी रूप में विराजित रहती हैं। आपको बता दें कि माता वैष्णो देवी की 3 पिंडयों में माता महाकाली, महासरस्वती लक्ष्मी वृजमान है। इन तीनों शक्तियों के दर्शन मात्र से ही जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।

5.यदि आप माता वैष्णो देवी के मंदिर जाना चाहते हैं तो गर्मी से अच्छा समय कुछ नहीं हो सकता। गर्मियों में छुट्टियों के दौरान माता वैष्णो देवी के दर्शन करने का लाभ जरूर उठाना चाहिए। वैसे तो आप अन्य मौसम में भी जा सकते हैं लेकिन सबसे ज्यादा नवरात्रि और छुट्टियों के समय में ही यहां पर भक्तों का तांता लगता है। यदि आप भी कहीं जाने की योजना बना रहे हैं तो बिना देर करें जम्मू के लिए रवाना हो जाए और माता की विचित्र गुफा के दर्शन करके आए। माता वैष्णो देवी आपकी हर मनोकामना पूर्ण करेंगी।

भारत के जाने माने ज्योतिषाचार्यो द्वारा जानिए कब करे माँ वैष्णो देवी की यात्रा जो आपके जीवन को सफल बना देगी।


Recently Added Articles
स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती
स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती

स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती भारतीय समाज के एक महान समाज सुधारक और वैदिक धर्म के पुनर्जागरणकर्ता को श्रद्धांजलि देने का अवसर है।...

सुभाष चंद्र बोस जयंती
सुभाष चंद्र बोस जयंती

सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक इलाके में हुआ था। उनके पिता जानकीनाथ बोस प्रसिद्ध वकील थे, और उनकी माता प्रभावती धर्मपरायण महिल...

गणतंत्र दिवस 2025 महत्व इतिहास और समारोह
गणतंत्र दिवस 2025 महत्व इतिहास और समारोह

1950 में भारत का संविधान लागू हुआ, जिसने भारत सरकार अधिनियम (1935) की जगह ली और भारत को एक संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाया।...

महाकुंभ मेला 2025
महाकुंभ मेला 2025

2025 का महाकुंभ विशेष रूप से ऐतिहासिक और दुर्लभ होने जा रहा है, क्योंकि यह 144 वर्षों बाद एक अद्वितीय ज्योतिषीय संयोग के तहत आयोजित होगा।...