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रथ यात्रा का पर्व भारत के सबसे मुख्य पर्वों में से एक है और देश भर में इसे ढेरों भक्त इस पावन पर्व को श्रद्धा तथा हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं परन्तु इस पर्व का सबसे शानदार आयोजन उड़ीसा राज्य के जगन्नाथपुरी में ही देखने को मिलता है। पुरी स्थित जगन्नाथपुरी मंदिर भारत के चार राज्यों में से एक है।
यह भारत के सबसे पुरातन मंदिरों में से भी एक है और यहां भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और उनकी बहन देवी सुभद्रा की पूजा अर्चना की जाती है। यह रथ यात्रा आषाढ़ माह की शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को आरम्भ होती है। इस दिन भारी संख्या में भक्तगण रथ यात्रा उत्सव में हिस्सा लेने के लिए देश-विदेश से पुरी आते हैं। इस वर्ष 2024 में रथ यात्रा का उत्सव 7 जुलाई 2024 रविवार, के दिन मनाया जायेगा। जबकि हिंदू पंचाग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को रथ यात्रा का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व की उत्पत्ति को लेकर कई सारी पौराणिक एवं ऐतहासिक मान्यताएं तथा कथाएं प्रसिद्ध हैं।
रथ यात्रा का त्योहार मनाने की शुरुआत जगन्नाथ पुरी से ही हुई है। इसके बाद यह पर्व पूरे भारत भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने लगा। जगन्नाथ रथ यात्रा आरंभ होने की शुरुआत के दिनों में पुराने राजाओं के वशंज पारंपरिक तरीक़े से सोने के हत्थे वाले झाड़ू से भगवान जगन्नाथ के रथ के सामने झाड़ु लगाते हैं और इसके बाद मंत्रोच्चार के साथ रथयात्रा की शुरुआत होती थी।
रथ यात्रा के शुरु होने के साथ ही कई सारे पारंपरिक यंत्र बजाये जाते हैं और इसकी आवाजों के बीच सैकड़ो लोग मोटे-मोटे रस्सों से रथ को खींचते है। इसमें सबसे आगे कृष्ण के भाई बलराम जी का रथ होता है। इसके थोड़ी देर बाद सुभद्रा जी का रथ चलना आरंभ होता है। सबसे अंत में लोग जगन्नाथ जी के रथ को बड़े ही श्रद्धापूर्वक खींचते है। रथ यात्रा को लेकर मान्यता है कि इस दिन रथ को खींचने में सहयोग से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यही कारण इस दिन भक्त भगवान बलभद्र, सुभद्रा जी और भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने के लिए उत्साहित रहते हैं। जगन्नाथ जी की यह रथ यात्रा गुंदेचा मंदिर पहुंचकर समाप्त होती है। यह वही स्थान है जहाँ भगवान विश्वकर्मा जी ने तीनों देव प्रतिमाओं का निर्माण किया था।
वैसे तो रथ यात्रा के कार्यक्रम देश-विदेश के कई स्थानों पर मनाये जाते हैं। लेकिन इनमें से कुछ रथ यात्राएं ऐसी हैं, जो दुनिया भर में काफी प्रचलित है।उड़ीसा के जगन्नाथपुरी में आयोजित होने वाली रथयात्रा, पश्चिम बंगाल के हुगली में आयोजित होने वाली महेश रथ यात्रा, पश्चिम बंगाल के राजबलहट में आयोजित होने वाली रथ यात्रा एवं अमेरिका के न्यू यार्क शहर में आयोजित होने वाली रथ यात्रा।
पुरी में रथ यात्रा के इस पर्व का इतिहास काफी पुराना है और इसका आरंभ गंगा राजवंश द्वारा सन् 1150 में की गई थी। यह वह पर्व था, जो पूरे भारत भर में पुरी की रथयात्रा के नाम से काफी प्रचलित हुआ। इसके साथ ही पाश्चात्य जगत में यह पहला भारतीय पर्व था, जिसके विषय में विदेशी लोगो को जानकारी प्राप्त हुई। इस त्योहार के बारे में मार्को पोलो जैसे प्रसिद्ध खोजकार्ताओं ने भी अपने पुस्तकों में वर्णन किया है।
द्वितीया आरम्भ
रथ यात्रा 2024 तिथि |
07 जुलाई 2024 रविवार |
रथ यात्रा 2023 समय |
22:04 |
द्वितीया समाप्त
रथ यात्रा 2023 तिथि |
07 जुलाई 2024 रविवार |
रथ यात्रा 2023 समय |
19:09 |
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