>

रणकपुर जैनियों का मशहूर मंदिर

रणकपुर मंदिर - जैनियों का मशहूर मंदिर

मंदिरों के बारें में जानना भी उसी धार्मिक काम की तरह है जिसे उन कामों में शामिल किया जाता है जिससे भगवान की भक्ति कका अनुभव होता है। देश में लाखों की संख्या में मंदिर में जिनमें से हम अपने जीवन में कुछ में जा पाते है। क्योंकि हम सभी अपने जीवन में कराफी बिज़ी रहते है और कारण यह भी है कि प्रसिद्ध मंदिर लेकिन फिर भी बहुत से मंदिर काफी दूर भी है। लेकिन उन तक घर बैठे पहुंचने में हम आपकी सहायता कर सकते है।

आइए आपको बतातें है एक प्रसिद्ध मंदिर के बारें में जो राजस्थान में मौजूद है। राजस्थान में अरावली पर्वत की घाटियों पर रणकपुर नाम का एक विशाल जान मंदिर है। इस मंदिर की भव्यता काफी लोकप्रिय है। जिसे जैन व्यापारी सेठ धरना और मेवाड़ के शासक राणा कुम्भा ने प्रभु के लिए अपनी भक्ति का विस्तार देते है। यह मंदिर पांच जैन मंदिरों में से एक है। मंदिर में प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की मूर्ति विस्थापित है और भगवान ऋषभ देव की मूर्ति भी मंदिर में स्थापित है।

 

रणकपुर जैन मंदिर का इतिहास

बताया जाता है कि इस मंदिर को 1446 विक्रम संवत में बनाया शुरू किया गया और मंदिर का काम 50 सालों तक चला और काफी मोटा पैसा खर्च कर रणकपुर मंदिर को बनाया गया। बता दें उस समय में इस मंदिर को लगभग 1 करोड़ रूपयों के खर्च पर तैयार कराया गया।

जानिए अपनी कुंडली का सटीक आंकलन हमारे जाने माने प्रसिद्ध ज्योतिष्यो द्वारा। अभी बात करने के लिए यहाँ क्लिक करें 

वहीं इस मंदिर की ज़िम्मेदारी सन् 2010 एक ट्रस्ट को दे दिया गया। तब से ट्रस्ट ही मंदिर की सभी की सभी ज़रूरत को पूरा करता है।

 

रणकपुर जैन मंदिर की खूबसूरती

इस मंदिर क सबसे बड़ी खासियत है कि मंदिर में 1,444 खंभे बने हुए जो मंदिर के चारों स्थापित है। इसमें खासिय़त यह है कि मंदिर में इतने ज्यादा खंभे होने बावजूद भी भगवान के दर्शन करने में कोई भी बाधा नहीं आती है। खंभों में विशेष तरह की आकृतियों से सुशोभित किया गया है। जिससे मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लग जाते है। 

आपको बता दें कि मंदिर जो लोग दर्शन के लिए आते है उन्हें 84 योनियों से मुक्ति मिल जाती है और प्रभु के इस धाम पर जाकर दिल को सुकून मिलता है।

यहां पर संगमरमर पर भगवान ऋषभ देव के पद चिन्ह भी बनें हुए है। जिनके दर्शन मात्र के लिए लोग तरसते है। रणकपुर में भगवान आदिनाथ की प्रतिमा संगमरमर पत्थर पर 50 फुट की बनी हुई है। मंदिर के चार दरवाजे जिस कारण इस मंदिर को चर्तुमुखी मंदिर कहा जाता है।

 

कैसे पड़ा रणकपुर जैन मंदिर का नाम

इस मंदिर के नाम के पीछे के कहानी छिपी हुई है कहा जाता है राणा कुम्भा को एक रात में भगवान ने दर्शन दिए और उन्होंने भगवान ऋषभ के दर्शन पाकर उनके मंदिर बनाने का निश्च किया और इसलिए राणा कुम्भा के नाम पर मंदिर का नाम रख दिया गया।

इस पवित्र मंदिर के दर्शन के लिए जैन धर्म के साथ अन्य धर्मों के लोग भी आते है। इसकी सुन्दरता को देखने के लिए व्यस्त जीवन में समय निकाल कर ज़रूर जाए।

जानिए अपनी कुंडली का सटीक आंकलन हमारे जाने माने प्रसिद्ध ज्योतिष्यो द्वारा। अभी बात करने के लिए यहाँ क्लिक करें


Recently Added Articles
महाकुंभ मेला 2025
महाकुंभ मेला 2025

2025 का महाकुंभ विशेष रूप से ऐतिहासिक और दुर्लभ होने जा रहा है, क्योंकि यह 144 वर्षों बाद एक अद्वितीय ज्योतिषीय संयोग के तहत आयोजित होगा।...

स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती
स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती

स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती भारतीय समाज के एक महान समाज सुधारक और वैदिक धर्म के पुनर्जागरणकर्ता को श्रद्धांजलि देने का अवसर है।...

गुरु गोबिंद सिंह जयंती
गुरु गोबिंद सिंह जयंती

गुरु गोविंद सिंह जी, जो सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु थे। हर साल गुरु गोविंद सिंह जयंती के उपलक्ष्य में मनाई जाती है।...

त्रैलंग स्वामी जयंती
त्रैलंग स्वामी जयंती

त्रैलंग स्वामी जीवन में, साधना और शिक्षाओं का हर पहलू हम सभी को आत्मा और परमात्मा के रहस्यों को समझने की प्रेरणा देता है। हर साल यह त्रैलंग स्वामी जयं...