>

इन राशियों को लगता है अँधेरे से डर

5 ऐसी राशियाँ जिनको अँधेरे से लगता है डर 

अँधेरे का डर एक आम भय है जिसे बहुत से लोग अनुभव करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हमारी राशि हमारे स्वभाव और भावनाओं पर गहरा प्रभाव डालती है। कुछ राशियाँ अँधेरे के डर को अधिक महसूस करती हैं और इस डर के पीछे विभिन्न ज्योतिषीय कारण होते हैं। इस लेख में, हम उन पाँच राशियों के बारे में जानेंगे जिन्हें अँधेरे से डर लगता है और इसके ज्योतिषीय कारणों का विश्लेषण करेंगे।

1. कर्क राशि (Cancer)

कर्क राशि के जातक भावुक और संवेदनशील होते हैं। चंद्रमा के प्रभाव के कारण, इनकी भावनाएँ गहरी होती हैं और वे अँधेरे में असुरक्षित महसूस करते हैं। अँधेरे का डर उनके अज्ञात और अनिश्चितता के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है।

ज्योतिषीय कारण:

  • चंद्रमा का प्रभाव: कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा होता है, जो मन और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है। अँधेरे में चंद्रमा की रोशनी का अभाव उन्हें असुरक्षित महसूस कराता है।
  • जल तत्व: कर्क राशि जल तत्व से संबंधित होती है, जो भावनाओं और संवेदनशीलता को बढ़ाता है।

2. कन्या राशि (Virgo)

कन्या राशि के जातक स्वभाव से चिंता करने वाले होते हैं और हर चीज़ को विस्तार से सोचते हैं। इनका विश्लेषणात्मक मस्तिष्क अँधेरे में संभावित खतरों और अनजान स्थितियों को बढ़ा-चढ़ाकर सोचता है।

ज्योतिषीय कारण:

  • बुध का प्रभाव: कन्या राशि का स्वामी बुध है, जो तर्क और विश्लेषण का ग्रह है। अँधेरे में उनकी तर्कशक्ति अनजाने डर और चिंताओं को जन्म देती है।
  • पृथ्वी तत्व: पृथ्वी तत्व होने के कारण, वे स्थिरता और सुरक्षा की आवश्यकता महसूस करते हैं, जो अँधेरे में कम हो जाती है।

3. वृश्चिक राशि (Scorpio)

वृश्चिक राशि के जातक गहरे और रहस्यमय होते हैं। हालांकि वे अक्सर बाहरी रूप से साहसी दिखाई देते हैं, लेकिन आंतरिक रूप से अँधेरे का डर उन्हें परेशान कर सकता है, खासकर जब यह अज्ञात या अप्रत्याशित घटनाओं से जुड़ा हो।

ज्योतिषीय कारण:

  • मंगल और प्लूटो का प्रभाव: वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल और प्लूटो होता है, जो तीव्रता और परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करता है। अँधेरे में संभावित खतरों का विचार उनकी आंतरिक असुरक्षाओं को जाग्रत कर सकता है।
  • जल तत्व: जल तत्व की संवेदनशीलता उन्हें अँधेरे में असुरक्षित महसूस करा सकती है।

4. मीन राशि (Pisces)

मीन राशि के जातक कल्पनाशील और संवेदनशील होते हैं। अँधेरे में उनकी कल्पनाएँ अक्सर डरावनी और अज्ञात चीज़ों का निर्माण करती हैं, जिससे उन्हें डर महसूस होता है।

ज्योतिषीय कारण:

  • बृहस्पति और नेपच्यून का प्रभाव: मीन राशि का स्वामी बृहस्पति और नेपच्यून है, जो कल्पना और आस्था का प्रतिनिधित्व करता है। अँधेरे में, उनकी कल्पना अधिक सक्रिय हो जाती है और डरावनी चीज़ों की छवियाँ बनती हैं।
  • जल तत्व: जल तत्व की भावुकता उन्हें अँधेरे में असुरक्षित और डरावना महसूस कराती है।

5. मिथुन राशि (Gemini)

मिथुन राशि के जातक तेज-तर्रार और चंचल होते हैं। उनका मस्तिष्क हमेशा सक्रिय रहता है, और अँधेरे में उनकी कल्पना डरावनी चीज़ों की ओर जाने लगती है।

ज्योतिषीय कारण:

  • बुध का प्रभाव: मिथुन राशि का स्वामी बुध है, जो संचार और विचारों का ग्रह है। अँधेरे में, उनकी मानसिक सक्रियता डरावनी चीज़ों की ओर बढ़ जाती है।
  • वायु तत्व: वायु तत्व की चंचलता उन्हें अँधेरे में अनजानी चीज़ों के बारे में सोचने पर मजबूर करती है, जिससे डर बढ़ता है।

     

अँधेरे का डर इन राशियों के लिए ज्योतिषीय दृष्टिकोण से समझा जा सकता है। उनकी संवेदनशीलता, कल्पनाशीलता और मानसिक सक्रियता उन्हें अँधेरे में असुरक्षित और डरावना महसूस कराती है। यदि आप इनमें से किसी राशि के जातक हैं और अँधेरे का डर महसूस करते हैं, तो यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह आपके ज्योतिषीय स्वभाव का हिस्सा है। अपने डर का सामना करने और उसे नियंत्रित करने के लिए आप ध्यान, प्राणायाम और सकारात्मक सोच का सहारा ले सकते हैं।


Recently Added Articles
कात्यायनी माता नवरात्रि का छठे दिन की पूजा
कात्यायनी माता नवरात्रि का छठे दिन की पूजा

नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिनमें से छठे दिन माँ कात्यायनी की आराधना होती है।...

सिद्धिदात्री देवी: नवरात्रि के नौवें दिन की अधिष्ठात्री देवी
सिद्धिदात्री देवी: नवरात्रि के नौवें दिन की अधिष्ठात्री देवी

नवरात्रि, शक्ति की उपासना का पावन पर्व, देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का समय है। नवरात्रि के नौवें दिन, देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है...

माँ स्कंदमाता नवदुर्गा के पांचवे स्वरूप की महिमा
माँ स्कंदमाता नवदुर्गा के पांचवे स्वरूप की महिमा

मां स्कंदमाता की गोद में भगवान स्कंद बैठे रहते हैं, इसलिए उन्हें 'स्कंदमाता' कहा जाता है।...