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कुंडली युगों में एक योग ऐसा भी शामिल है। जिसके नाम से ही मनुष्य विचलित हो जाता है। जी हां, विष योग ही वह योग है, जिसके नाम से ही डर लगता है। विष योग नाम से ही साफ है कि मनुष्य में जिंदगी भर विष के समान जीवन यापन करता है। इसके प्रभाव और प्रकोप बताने से पहले आपको बता देते हैं कि ये योग बनता कैसे हैं... दरअसल जब शनि अपनी दृष्टि चंद्रमा पर डाल देता है तो विषयों के भाव बनने लगते हैं। कर्क राशि में पुष्य नक्षत्र में हो और चंद्रमा मकर राशि में नक्षत्र में हो जिससे दोनों एक दूसरे के विपरीत रहकर एक दूसरे को देख रहे होते हैं। जिससे विष योग उत्पन्न होता है। इस योग में चंद्रमा और शनि दोनों ग्रहों का प्रकोप जातक पर पड़ता है। जातक को जिंदगी भर विष के समान है, जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसका प्रकोप और प्रभाव बड़ा ही खतरनाक है। इसके प्रभाव में आकर मनुष्य कष्टों से भरी जिंदगी जीने लगता है। उसका हर बनता काम बिगड़ने लगता है।
परिवार में सुख शांति खत्म-सी हो जाती है। हर रोज लड़ाई रहने लगती है, जातक सभी को परेशान करने लगता है। जातक में कई प्रकार का बदलाव होने लगता है।
बच्चे शिक्षा से दूर होने लगते हैं। पढ़ाई में मन नहीं लगता और वे गलत कामों की ओर अग्रसर होने लगते हैं।
मनुष्य अपनी शुद्ध भूल जाता है और पाप कर्म की ओर बढ़ने लगता है। जिससे उसके जीवन में जहर घोलने वाले भी पीछे नहीं हटते संबंधी सहित दोस्त भी साथ छोड़ देते हैं।
जातक के दुश्मन बनने लगते हैं। मनुष्य जीवन से दुखी होकर कई बार घर से जाने की भी ठान लेता है।
इन सभी दुखों को दूर करने के लिए भगवान हमेशा साथ देते हैं। इसलिए जहां दर्द है वहां उस दर्द का निवारण भी है, चलिए जानते हैं दूर करने के उपाय:
1. विष योग से बचने के लिए चंद्रमा और शनि को मनाना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए ऐसे में चंद्रमा शनि की शांत करने के लिए कुछ बताए गए, उपाय जरूर करें।
2. पीपल के पेड़ में अन्य देवी-देवताओं का वास माना जाता है। इसलिए यह बड़ा ही महत्वपूर्ण और विष योग से बचने के लिए पीपल के नीचे नारियल को 7 बार अपने सिर से उतारकर फोड़ना चाहिए और प्रसाद के रूप में सभी को वितरित करें।
3. शनिदेव को खुश करने के लिए हर शनिवार को शनि मंदिर जाए और तेल का दीपक जलाएं साथ ही याद रहे कि कभी भी शनि पर चीनी का भोग ना लगाएं।
4. शनिवार को पीपल पेड़ पर तेल चढ़ाएं और काली उड़द और काले तिल मिलाकर। दीपक भी जलाएं और जाप करें ओम सौ शनिश्चराय नमः।
5. शनिदेव के मंदिर में जाने से पहले गुड़ से बनी रे बनी और तिल के लड्डू का प्रसाद बनाएं और भगवान को अर्पित करके कुत्तों को भी प्रसाद खिलाए।
6. साथ ही साथ भगवान शिव को भी खुश करें। गायत्री मंत्र का जाप करें और भगवान शिव के मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करें।
7. महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। यह मंत्र हर समस्या से बचने के लिए सहायता करता है। विष योग के प्रभाव से बचने के लिए भगवान शिव को खुश करें ताकि चंद्रमा देव भी खुश हो सके।
8. सोमवार और शनिवार को विशेष मानते हुए दोनों दिन व्रत करें और भूखों को भोजन खिलाने से अवश्य ही आप इस खतरनाक योग से छुटकारा पा सकते है।
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