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राशि चक्र और तारामंडल में मकर राशि (Capricorn) का स्थान दसवें स्थान पर है। यह दक्षिण दिशा में वास करने वाली पृष्ठोदयी राशि मानी जाती है। तारामंडल में इस राशि का प्रारंभ 271 डिग्री से लेकर 300 डिग्री के अंतर्गत है। मकर राशि की आकृति मृग के सिर जैसा मगरमच्छ के समान मानी गई है। यह चर राशि संज्ञक और सौम्य प्रकृति की भूमि तत्व कही गई है। मकर राशि (Makar Rashi) का स्वामी शनि है। इस राशि का वर्ण पीला सफेद युक्त है। मकर राशि का स्थान कालपुरुष के शरीर में दोनों घुटनों में कहा गया है और इसका निवास स्थान वन, जंगल, नदी, जल, समुद्र जैसे स्थान में कहा गया है। मकर राशि का पूर्वार्ध वन और उत्तार्ध जल में माना गया है। यह स्त्री लिंग सम और सौम्य राशि है।
प्रत्येक राशि की तरह मकर राशि (Capricorn) के भी दो होरा है। पहली होरा 15 अंश और दूसरी होरा भी 15 अंश से संपूर्ण है। पहली होरा के स्वामी चंद्रमा और दूसरी होरा के सवामी सूर्य है। इसी तरह मकर राशि के तीन द्रैष्काण माने गए हैं। एक द्रैष्काण दस डिग्री का होता है। अत: कुल मिलाकर तीनों द्रैष्काण में तीस डिग्री की पूरी राशि हो जाती है। पहले द्रैष्काण का स्वामी शनि है। दूसरे का स्वामी शुक्र और तीसरे द्रैष्काण का स्वामी बुध है। मकर राशि के 7 सप्तमांश होते हैं। पहले सप्तमांश का स्वामी चंद्र, दूसरे का सूर्य, तीसरे का बुध, चौथे का शुक्र, पांचवे का मंगल, छठे का बृहस्पति और सातवें सप्तमांश का स्वामी शनि कहा गया है।
अब आते हैं मकर राशि के नवमांश की तरफ मकर राशि के 9 नवमांश होते हैं। एक नवमांश 3 अंश और 20 विकला के होते हैं। मकर राशि के पहले नवमांश का स्वामी शनि, दूसरे का शनि, तीसरे का बृहस्पति, चौथे का मंगल, पांचवे का शुक्र, छठे का बुध, सातवें का चंद्रमा, आठवें का सूर्य और नौवें नवमांश का स्वामी बुध कहा गया है।
इसी तरह मकर राशि के 10 दशमांश होते हैं। हर एक दशमांश 3 अंश का होता है। पहले दशमांश का स्वामी बुध, दूसरे का शुक्र, तीसरे का मंगल, चौथे का स्वामी बृहस्पति, पांचवे का शनि, छठे का भी शनि, सातवें का बृहस्पति, आठवें का मंगल, नौवें का शुक्र और दसवें का स्वामी बुध होता है।
मकर राशि (Makar Rashi) के 12 द्वादशांश होते हैं। प्रत्येक द्वादशांश 2 अंश और 30 कला के माने गए हैं। पहले द्वादशांश के स्वामी शनि, दूसरे का स्वामी भी शनि, तीसरे का स्वामी बृहस्पति, चौथे का स्वामी मंगल, पांचवे का शुक्र, छठे का बुध, सातवें का चंद्रमा, आठवें का सूर्य, नौवें का बुध, दसवें का स्वामी शुक्र,, ग्यारहवें का मंगल और बारहवें का स्वामी बृहस्पति है।
अब आते हैं मकर राशि (Capricorn) के अगले चरण में। मकर राशि के 16 षोडशांश कहे गए हैं। इस राशि के एक षोडशांश 1 अंश,452 कला और 30 विकला के होते हैं। पहले षोडशांश का स्वामी मंगल, दूसरे का शुक्र, तीसरे का बुध, चौथे का चंद्रमा, पांचवे का सूर्य, छठे का बुध, सातवें का शुक्र, आठवें का मंगल, नौवें का बृहस्पति, दसवें का स्वामी शनि, ग्यारहवें का भी शनि, बारहवें का स्वामी बृहस्पति, तेरहवें का मंगल, चौदहवें का शुक्र, पंद्रहवें का बुध और सोलहवें का स्वामी चंद्रमा है।
मकर राशि के 5 त्रिशांश होते हैं। पहला त्रिशांश 5 अंश का और इसके स्वामी शुक्र है। दूसरा त्रिशांश 7 अंश का और इसके स्वामी बुध है। तीसरा त्रिशांश 8 अंश और इसके स्वामी बृहस्पति हैं। चौथा त्रिशांश 5 अंश का और इसके स्वामी शनि हैं। पांचवा त्रिशांश 5 अंश का और इसके स्वामी मंगल हैं।
मकर राशि (Capricorn) के 60 षष्ट्यंस होते हैं। एक षष्ट्यंस 30 कला का अथर्ज्ञत आधा अंश का होता है। इसके स्वामी कुछ इस तरह हैं। पहला षष्ट्यंस का स्वामी इंदुरेखा, दूसरे का भ्रमण, तीसरे का सुधासयो, चौथे का अतिशित, पांचवे का अशुभ, छठे का शुभ, सातवें का निर्मल, आठवें का दंडायुत, नौवें का कालाग्नि, दसवें का प्रवीण, 11वें का इंदुमुख, 12वें का दुष्टकाल, 13वें का सुशीतल, 14वें का मृदु, 15वें का सौम्य, 16वें कालरूप, 17वें उत्पात, 18वें वन्शछय, 19वें मुख्या, 20वें का कुलनाश, 21वें का स्वामी विदाग्ध, 22वें का स्वामी पूर्णचंद्र, 23वें का स्वामी अमृत, 24वें का स्वामी सुधा, 25वें का स्वामी कंटक, 26वें का स्वामी अधम, 27वें का स्वामी घोर, 28वें का स्वामी दावाग्नि, 29वें का स्वामी काल, 30वें का स्वामी मृत्यु, 31वें का स्वामी मन्दात्मज, 32वें का स्वामी मलकर, 33वें का स्वामी क्षितिज, 34वें का कलिनाश, 35वें का आर्द्र, 36वें का देव, 37वें का दिगंबर, 38वें का वागीश, 39वें का विष्णु, 40वें का पद, 41वें कोमल, 42वें का मिर्दु, 43वें का चंद्र, 44वें का अमृत, 45वें का सर्प, 46वें का कला, 47वें का इंद्र, 48वें का वरुण, 49वें यम, 50वें का माया, 51वें अग्नि, 52वें गरल, 53वें कुलघ्न, 54वें भ्रष्ट, 55वें का किन्नर, 56वें का यक्ष, 57वें का कुबेर, 58वें का देव, 59वें का राक्षस, 60वें का स्वामी घोर है। कुल मिलाकर ये 60 षष्ट्यंस अपने नाम के अनुसार मकर राशि के जातकों को शुभ और अशुभ फल देते हैं।
मकर राशि (Capricorn) में सत्ताइस नक्षत्रों के 108 चरणों में कुल नौ चरण अभिजीत से धनिष्ठा तक, जिसमें कि अभिजीत नक्षत्र के चार जिके वर्ण अक्षर हैं। अभिजीत 1 जु, 2 जे, 3 जो, 4 ख, 5 श्रचण 1 खी, 2 खू, 3 खे, 4 खो, धनिष्ठा 1 गा, 2 गी है। कुल मिलाकर के ये दस चरण मकर राशि के हैं और हर एक चरण 3।20 डिग्री का है। सभी चरणों के नक्षत्र स्वामी भी शनि के साथ अलग-अलग होते हैं। मकर राशि रात के समय सबसे अधिक बलशाली होता है अत: इसे रात्रिबली राशि भी कहा जाता है।
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