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Vijaya Ekadashi 2024: फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह तिथि समस्त संसार के पालनकर्ता भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित है। विजया एकादशी के व्रत को विधिपूर्वक एवं सच्चे मन से करने से हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। यह एकादशी विजय प्रदान करने वाली एकादशी होती है अर्थात विजया एकादशी करने से मनुष्य को विजय की प्राप्ति होती है।
विजया एकादशी की तिथि पर श्रद्धापूर्वक भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की आराधना करने से पूर्व जन्मों के पापों का नाश होता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार विजया एकादशी को अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। मान्यताओं के अनुसार एकादशी के दिन व्रत, कथा जरूर सुननी चाहिए तभी व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। तो चलिए जानते हैं विजया एकादशी की व्रत कथा को।
यह बात तब की है जब भगवान श्रीराम माता सीता के हरण के पश्चात सुग्रीव की सेना को लेकर रावण से युद्ध करने के लिए लंका की ओर प्रस्थान कर रहें थे। तब एक विशाल समुद्र ने उनका रास्ता रोक लिया। समुद्र को पार करना एक चुनौती बन रही थी क्योंकि भगवान श्रीराम मानव रूप में थे इसलिए वह इस समस्या का समाधान मानव के रूप में ही ढूंढना चाहते थे।
तब भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण जी से पूछा कि इस समुद्र को हम किस प्रकार पार करें। श्री लक्ष्मण ने कहा हे भ्राता आप तो आदिपुरुष है, आप सब कुछ जानते हैं। इस स्थान से आधा योजन दूर कुमारी द्वीप में वकदालभ्य नामक एक मुनि रहते हैं, उनके पास इस समस्या का कुछ ना कुछ समाधान अवश्य होगा। लक्ष्मण जी की बात सुनकर भगवान श्रीराम मुनि के पास पहुंच गए। उन्हें प्रणाम किया और उनके पास अपनी समस्या रखकर उसका समाधान मांगा। तब मुनि ने बताया कि यदि आप अपने समस्त सेना के साथ फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उपवास रखें तो आप समुद्र पार करने में अवश्य सफल होंगे अथवा उपवास के प्रताप से लंका पर भी विजय पाएंगे।
समय आने पर भगवान श्रीराम ने विधिपूर्वक अपनी समस्त सेना के साथ एकादशी का उपवास रखा और रामसेतु का निर्माण कर समुद्र पार करके रावण का वध किया।
• एकादशी की तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
• स्नान करने के पश्चात भगवान का नाम लेकर व्रत का संकल्प लें।
• इसके बाद भगवान श्री विष्णु की आराधना करें एवं उनको पीले फूल अर्पित करें।
• पीपल के पत्ते पर दूध और केसर से निर्मित मिठाई रखकर भगवान को भोग लगाएं।
• इसके पश्चात भगवान श्री विष्णु की आरती करें।
• संध्या काल में तुलसी के पौधे के आगे दीपक जलाएं।
• भगवान विष्णु सहित माता लक्ष्मी की भी पूजा करें।
• भगवान विष्णु को केले का भोग लगाएं तथा केले को गरीबों में दान भी करें।
• अगले दिन सुबह उठकर स्नान कर ले तथा मुहूर्त पर पारण करें।
विजया एकादशी: गुरुवार, 7 मार्च 2024 से 8 मार्च
व्रत परायण : सुबह 10:15 बजे से लेकर 12:15 बजे तक 8 मार्च 2024,
पारणा तिथि पर हरि वासर का समापन समय - 08:01 बजे
एकादशी तिथि प्रारंभ - 7 मार्च 2024, सुबह 04:14 बजे
एकादशी तिथि समाप्त - 8 मार्च 2024, सुबह 01:20 बजे
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