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क्यों आती हैं जीवन में समस्याएं ?

क्यों हमारे जीवन में समस्याएं आती हैं.

हमारे जीवन में समस्याएं और चुनौतियाँ आना एक सामान्य प्रक्रिया है, जो कभी-कभी हमें निराशा और असमंजस की स्थिति में डाल देती है। कई बार हम समझ नहीं पाते कि आखिर हमारे जीवन में ये समस्याएं क्यों आती हैं और इनका समाधान क्या हो सकता है। इस प्रश्न का उत्तर खोजने के लिए लोग अक्सर ज्योतिषियों की शरण लेते हैं। ज्योतिष के अनुसार, हमारे जीवन की घटनाओं और समस्याओं का संबंध ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभाव से होता है। इस लेख में, हम जानेंगे कि ज्योतिषियों के अनुसार, हमारे जीवन में समस्याएं क्यों आती हैं और इसके पीछे के प्रमुख कारण क्या हैं।

ग्रहों की स्थिति और उनका प्रभाव:

ज्योतिष शास्त्र में यह माना जाता है कि हमारे जीवन की सभी घटनाएं ग्रहों की स्थिति और उनकी चाल से प्रभावित होती हैं। हमारे जन्म के समय ग्रहों की स्थिति को जन्म कुंडली में दर्शाया जाता है, जो हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती है। जब ये ग्रह प्रतिकूल स्थिति में होते हैं, तो ये हमारे जीवन में समस्याएं और चुनौतियां लाते हैं।

मुख्य कारण:

ग्रहों की दशा और महादशा:

प्रत्येक ग्रह की एक निश्चित दशा होती है, जो हमारे जीवन के विभिन्न चरणों में प्रभाव डालती है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में किसी ग्रह की महादशा चल रही है और वह ग्रह कमजोर या प्रतिकूल स्थिति में है, तो व्यक्ति को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। महादशा और अंतर्दशा का प्रभाव जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे करियर, स्वास्थ्य, रिश्ते और वित्तीय स्थिति पर पड़ता है।

गोचर (ट्रांजिट):

ग्रहों का गोचर भी हमारे जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। जब ग्रह अपनी राशि बदलते हैं और एक नई राशि में प्रवेश करते हैं, तो यह विभिन्न प्रकार की चुनौतियां और अवसर ला सकता है। प्रतिकूल गोचर से जीवन में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, जब शनि गोचर में किसी की जन्म राशि या लग्न से होकर गुजरता है, तो यह समस्याओं का कारण बन सकता है।

शनि की साढ़े साती और ढैया:

शनि ग्रह की साढ़े साती और ढैया भी जीवन में महत्वपूर्ण समस्याओं का कारण बन सकती है। साढ़े साती वह अवधि है जब शनि तीन राशियों को पार करता है: जन्म राशि से एक राशि पहले, जन्म राशि और जन्म राशि से एक राशि बाद। यह समयावधि व्यक्ति के जीवन में तनाव, अवरोध और कठिनाइयों को बढ़ा सकती है। ढैया वह समय है जब शनि जन्म राशि से चौथे या आठवें घर में होता है, और यह भी चुनौतियों का कारण बन सकता है।

राहु और केतु का प्रभाव:

राहु और केतु को छाया ग्रह कहा जाता है, और ये अक्सर जीवन में अप्रत्याशित और अचानक घटनाओं का कारण बनते हैं। इन ग्रहों की प्रतिकूल स्थिति जीवन में भ्रम, बाधाएं और मानसिक तनाव ला सकती है। राहु जीवन में गुमराह करने वाली स्थितियाँ पैदा करता है, जबकि केतु मानसिक और आध्यात्मिक चुनौतियाँ लाता है।

अष्टम भाव (आठवां घर):

जन्म कुंडली का आठवां घर जीवन में आने वाले बड़े बदलावों, दुर्घटनाओं और कठिनाइयों का सूचक होता है। यदि इस घर में प्रतिकूल ग्रह स्थित हैं, तो यह समस्याओं का कारण बन सकता है। आठवां घर दीर्घकालिक बीमारियों, दुर्घटनाओं और अचानक परिवर्तन को भी दर्शाता है।

पिछले जन्म के कर्म:

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हमारे पिछले जन्म के कर्मों का भी हमारे वर्तमान जीवन में समस्याओं पर प्रभाव होता है। यह मान्यता है कि पिछले जन्मों के अच्छे और बुरे कर्मों का फल हमें इस जीवन में मिलता है। यह सिद्धांत कर्म और पुनर्जन्म के आधार पर जीवन की घटनाओं को समझाने का प्रयास करता है।

समस्याओं का समाधान:

ज्योतिषियों के अनुसार, जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान भी संभव है। कुछ सामान्य उपाय निम्नलिखित हैं:

रतन (रत्न) पहनना:

प्रतिकूल ग्रहों के प्रभाव को कम करने के लिए विशेष रत्नों का पहनना ज्योतिष में बहुत प्रभावी माना जाता है। उदाहरण के लिए, शनि के प्रभाव को कम करने के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए लहसुनिया पहना जा सकता है। यह रत्न ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित करने में मदद करते हैं।

पूजा और यज्ञ:

विशेष पूजा और यज्ञ करने से भी ग्रहों की प्रतिकूलता को कम किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, शनि के प्रभाव को कम करने के लिए शनि पूजा, राहु-केतु के लिए काल सर्प दोष पूजा आदि की जाती हैं। ये धार्मिक अनुष्ठान व्यक्ति की मानसिक और आध्यात्मिक शांति को बढ़ाते हैं।

दान और सेवा:

ज्योतिषियों के अनुसार, दान और सेवा करने से भी जीवन में आने वाली समस्याओं को कम किया जा सकता है। यह कर्मों के प्रभाव को संतुलित करने और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, शनि के प्रभाव को कम करने के लिए काले तिल, लोहे और काले कपड़ों का दान किया जा सकता है।

जप और मंत्र:

विशेष मंत्रों का जप करने से भी ग्रहों की प्रतिकूलता को कम किया जा सकता है। यह मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में सहायक होता है। उदाहरण के लिए, शनि के लिए "ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का जप, राहु के लिए "ॐ रां राहवे नमः" और केतु के लिए "ॐ कें केतवे नमः" मंत्र का जप लाभकारी हो सकता है।

व्रत और उपवास:

व्रत और उपवास रखने से भी ग्रहों की प्रतिकूलता को कम किया जा सकता है। विशेष दिनों पर व्रत रखने से व्यक्ति की आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है और ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है।

ग्रहों की शांति के उपाय:

विभिन्न ग्रहों के शांति के उपाय भी ज्योतिष में बताये गए हैं, जो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक प्रभाव ला सकते हैं। उदाहरण के लिए, मंगल ग्रह की शांति के लिए हनुमान चालीसा का पाठ, बुध ग्रह की शांति के लिए भगवान विष्णु की पूजा, और शुक्र ग्रह की शांति के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

 

समस्याएं और चुनौतियां जीवन का एक अविभाज्य हिस्सा हैं, और ज्योतिष शास्त्र हमें इन समस्याओं के पीछे के कारणों को समझने और उनके समाधान खोजने में मदद करता है। ग्रहों की स्थिति, दशा, गोचर और अन्य ज्योतिषीय कारक हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। ज्योतिषीय उपायों को अपनाकर हम इन समस्याओं को कम कर सकते हैं और अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं। ज्योतिष एक प्राचीन विज्ञान है, जो हमें हमारे जीवन की दिशा और दशा को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान ज्योतिष के माध्यम से संभव है, बशर्ते हम सही मार्गदर्शन और उपायों को अपनाएं।


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