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ग्रह गोचर में सूर्य और चंद्र के बीच जब पृथ्वी आ जाती है और पृथ्वी की छाया चंद्र ग्रहण के ऊपर पड़ती है तो चंद्र ग्रहण का परिदृश्य सामने होता है। यह एक अद्भुत खगोलीय घटना है। चंद्र ग्रह मंडल में हमारे सबसे क़रीब होने के कारण उनकी प्रतिदिन की बदलती हुई अवस्थाओं (कलाओं) एवं ग्रहण की अवस्था बिलकुल भिन्न होती है, जिससे कि लोग उस परिदृश्य को देखकर अचंभित होते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार चंद्रग्रहण से प्राणियों के ऊपर बुरा असर पड़ता है क्योंकि चन्द्र, ग्रहमंडल में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं पौराणिक शास्त्रों के अनुसार चंद्र ग्रहण राहु और केतु के कारण होता है। चन्द्रमा क्योंकि हमारे मानसिकता के कारक ग्रह हैं इसलिए उनको ग्रहण हो जाना ख़ासकर के ग्रहण जिस भी वार, नक्षत्र, राशि, और योग में चंद्रग्रहण होता है निश्चित रूप से उन लोगों की मानसिकता के लिए यह शुभ नहीं होता है और बहुत प्रकार की पीड़ा दायक होता है। राहु और चंद्र की युति को ही ग्रहण कहा गया है।
जन्म पत्रिका में राहु और चंद्र की स्थिति एक साथ होने पर व्यक्ति को भ्रमकता, बहम, संशय के कारण किसी भी निर्णय पर नही पहुँच पाते है। ज्योतिष शास्त्र में कई प्रकार के चंद्र ग्रहण बताए गए हैं, जो की राहु और चन्द्र की अलग अलग प्रकार की स्थितियों से बनते हैं। जिस समय राहु के द्वारा चन्द्रमा के एक विशेष खंड को मलीन किया जाए तो उसे खंडग्रास ग्रहण कहा जाता है। इसके साथ ही यदि चंद्रमा के ऊपर राहु पूर्ण रूप से आच्छादित कर उसे मलीन कर देता है तो इसको पूर्ण चंद्रग्रहण कहते हैं, यदि चंद्र का एक तरफ़ का हिस्सा राहु छाया के द्वारा मलीन हो रहा हो तथा वहा दूसरी तरफ छाया बढ़ रही हो तो उस स्थिति को खग्रास चंद्र ग्रहण कहते हैं। इसी प्रकार से चंद्र ग्रह के मध्य भाग को राहु की छाया मलीन करें और बाहरी हिस्सा कंगन की तरह चमकता दिखाई दे, उस स्थिति को कंकण चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
चंद्रग्रहण की तीन प्रकार की स्थितियाँ शास्त्रों में बतायी गई है:
चंद्र ग्रहण | तिथि |
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खाग्राश चंद्र ग्रहण | मंगलवार, 26 मई, 2022 |
खंडाग्रास चंद्र ग्रहण | शुक्रवार, 19 नवंबर, 2022 |