>
ग्रह गोचर के क्रम अनुसार केतु का स्थान नवाँ हैं। केतु को कृष्ण वर्ण वाला ग्रह माना जाता है। साथ ही केतु की आकृति ध्वजा के जैसी मानी जाती है। केतु को नकारात्मकता का कारण भी माना जाता है। पौराणिक मत के अनुसार केतु, राहु का ही आधा धड वाला हिस्सा है। भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राहु के शिर को धड़ से अलग कर दिया था। जिसमे सिर राहु और धड केतु के रूप में उत्पन्न हुआ। गोचर में केतु ग्रह एक राशि अर्थात 30 डिग्री को भ्रमण करने में क़रीब एक से सवा वर्ष का समय लेते हैं। इसी प्रकार 12 राशियों को गोचर करने में केतु को 18 वर्षों का समय लगता है। जन्म पत्रिका के जिस भाव में केतु की स्थिति होती है उस भाव की उन्नति में केतु बाधा उत्पन्न कर देते हैं। केतु ग्रह वृश्चिक राशि में परम उच्च के तथा वृष राशि में नीचस्थ मानें जाते हैं। वृश्चिक राशि में केतु का प्रभाव शुभ माना जाता है एवं वृष राशि में केतु का प्रभाव अच्छा नहीं माना जाता है।
यदि हम ग्रह मंडल में सम्बन्ध की बात करें तो केतु के सम्बन्ध राहु के समान ही रहते है। शनि, बुद्ध, शुक्र ये ग्रह केतु से मित्रता रखते हैं। इनके साथ युति और इनकी राशियों में केतु शुभ फल देते है। रवि, चंद्र, मंगल, केतु के शत्रु हैं। इनके साथ युति और इनकी राशियों में केतु दुष्प्रभावी होते है और बृहस्पति के साथ सामान्य संबंधों में आते हैं। इनके साथ युति और इनकी राशियों में केतु मध्यम फल देते है। साथ ही सभी प्रकार के चर्म रोग हाथ और पाँव से संबंधित रोग, पेट से संबंधित रोगों का भी विचार भी केतु के गोचर आधार पर किया जाता है। केतु की अच्छी स्थिति कुल को बढ़ाने वाली होती है।
मित्र | सम | शत्रु | उच्च | नीच | स्वराशि | कारक | राशि परिवर्तन समय |
---|
शनि, बुध, शुक्र | गुरु | सूर्या, चन्द्र, मंगल | वृश्चिक | वृष | - | नकारात्मकता | 18 माह |
आइये जानते हैं की कब और किस राशि में केतु ग्रह का राशि परिवर्तन हो रहा हैं। केतु ग्रह का गोचर आपकी राशि पर क्या परिवर्तन लायेगा? जानिए सम्पूर्ण जानकारी केतु ग्रह के राशि परिवर्तन को लेके।
केतु का राशि परिवर्तन | तिथि | समय |
---|
तुला से वृश्चिक राशि में | गुरुवार, 23 सितंबर, 2022 | 12:52 PM |