इसके साथ ही हम आपको बताते हैं त्रिपिंडी श्राद्ध पूजा के बारे में। इसे करने के बाद आपको कभी कोई भी परेशानी नहीं सताएगी।
त्रिपिंडी श्राद्ध पूजा को केवल विवाहित पति-पत्नी ही कर सकते हैं। यदि किसी की पत्नी की मृत्यु हो गई है, तो उसे भी यह अधिकार है कि वह इस पूजा को पूरे विधि विधान से कर सकता है। अविवाहित मनुष्य भी इस पूजा को कर सकता है। परन्तु घर की बेटी को यह अधिकार नहीं है।
हिंदू धर्म में स्त्री को विवाह के पश्चात दूसरे घर जाना पड़ता है। इसलिए माता-पिता की मृत्यु के बाद पिंडदान तर्पण श्राद्ध करने का अधिकार उसे नहीं होता है।
आपको बताते हैं इस पूजा के लाभ और उसके महत्व के बारे में।
1.त्रिपिंडी पूजा प्रेत श्राद्ध के उद्देश्य से की जाती है। इसे करने से आपके घर में पितृदोष शांत होता है और घर में सुख शांति आती है।
2. त्रिपिंडी श्राद्ध पूजा केवल सुयोग्य विद्वानों से ही करवाएं। श्रद्धा-विश्वास के साथ शास्त्रानुसार सविधि यह त्रिपिंडी श्राद्ध पूजा करवाने से आपको खुद को साकारात्मक महसूस करेंगे।
3. त्रिपिंडी पूजा करवाने, ब्राह्मण को भोजन कराने से विष्णु पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इसलिए ध्यान रखें कि इस पूजा में कोई भी खलल न पड़ें।
4. जिन स्त्रियों की कोई संतान नहीं होती वह स्वयं अपने पति का श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि पर कर सकती हैं। इस पूजा के करने से आपके सभी कष्ट दूर होते हैं।
5. त्रिपिंडी पूजा करने के बाद आपकी संपत्ति के पुराने विवाद भी सुलझने लगते हैं। इसलिए इसे साल में एक बार जरूर करवाएं।
ये बताया हमने आपको स्वर्ण नाग बलि और त्रिपिंडी श्राद्ध पूजा के लाभ और उसके महत्व के बारे में। इसे करने के बाद आपके घर से पितृदोष जैसे कोई भी समस्या नहीं रहेगी, बल्कि उनके आशीर्वाद से आप खुद में अच्छा महसूस करेंगे। आपकी तरक्की के रास्ते खुलेंगे और आपके घर में धन की वर्षा होगी।
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